चीन बना रहा गैरकानूनी कब्जे में पुल: क्या है वो तीन मुख्य सिद्धांत

शुक्रवार को भारत सरकार ने संसद को बताया कि चीन पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग झील पर जिस इलाके में एक पुल का निर्माण कर रहा, 1962 से वो बीजिंग के गैरकानूनी कब्जे में है।
लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने इसकी जानकारी दी।
वी मुरलीधरन ने कहा कि चीन के साथ पूर्वी लद्दाख में गतिरोध को लेकर बातचीत तीन मुख्य सिद्धांतों पर आधारित है।
पहला, दोनों पक्ष वास्तविक नियंत्रण रेखा का पूरा सम्मान करे।
दूसरा, कोई भी पक्ष यथास्थिति बदलने का प्रयास न करे और आखिरी सिद्धांत ये कि दोनों पक्ष सभी समझौतों का पालन करे।
जनवरी में सैटेलाइट तस्वीरों से जानकारी मिली कि चीन काफी तेजी से पैंगोंग नदी पर पुल का निर्माण कर रहा है।
कहा जा रहा है कि इसका निर्माण कार्य जल्द ही पूरा हो जायगा। फिलहाल रुटोग तक सड़क बनाने में लंबा समय लगेगा।
इससे पहले खुलासा हुआ था कि पैंगोंग झील पर चीन पुल का निर्माण कर रहा, जिससे चीनी सेना अपने सैनिको को पैंगोंग झील के दूसरी तरफ तेजी से भेज सके।
इस पुल के बनने से अब रुटोग अड्डे तक पहुंचने के लिए चीनी सैनिकों को 200 किमी तक पैंगोंग झील का चक्कर नहीं लगाना पड़ेगा।
द इंटेल लैब में शोधकर्ता दमिएन सयमोन ने कहा खा कि 'भारी मशीनों को पुल का निर्माण करने के लिए लगाया गया है। भीषण बर्फबारी और खराब मौसम के बाद भी इस पुल का निर्माण कार्य जारी है। इसके अलावा पुल तक जाने के लिए एक नया रास्ता उत्तरी किनारे पर खुर्नाक फोर्ट के पास दिखाई दिया है, जो एक चीनी सड़क से जोड़ेगा।'
रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट ने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा, 'सेना के तीनों अंगों में 9,920 अधिकारियों की कमी है।'
मंत्री के मुताबिक, 7,791 की कमी थल सेना में, 1,557 की कमी वायुसेना में, 572 अधिकारीयों की कमी नौसेना में है।
हेमलता बिष्ट